नर्मदा मैया पर एक छोटी कहानी ।
नर्मदा मैया, मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी, अपनी शांत और गहरी चाल के लिए जानी जाती हैं। उनकी धारा सदियों से पत्थरों को चिकना करती आई है, और उनके किनारे घने जंगलों और प्राचीन मंदिरों से सजे हैं।एक छोटे से गाँव में, जो नर्मदा के किनारे बसा था, एक बूढ़ी महिला रहती थी जिसका नाम जमुना बाई था। जमुना बाई ने अपना पूरा जीवन नर्मदा के किनारे बिताया था। वह हर सुबह सूर्योदय से पहले उठती और नर्मदा के पवित्र जल में स्नान करती थीं। उनका मानना था कि मैया के जल में अद्भुत शक्ति है, जो शरीर और आत्मा दोनों को शुद्ध करती है।एक बार, गाँव में एक भयानक बीमारी फैल गई। कई लोग बीमार पड़ गए, और वैद्य भी उनकी मदद करने में असमर्थ थे। जमुना बाई दुखी थीं, लेकिन उन्होंने अपनी श्रद्धा नहीं छोड़ी। वह हर दिन नर्मदा के किनारे जातीं, प्रार्थना करतीं और मैया से अपने गाँव को इस संकट से बचाने की विनती करतीं।एक रात, जमुना बाई को सपने में नर्मदा मैया दिखाई दीं। मैया ने उनसे कहा कि वे गाँव के सभी लोगों को नदी के जल से स्नान कराएं और उन्हें तुलसी के पत्ते खिलाएं। जमुना बाई सुबह उठीं और उन्होंने सपने के बारे में गाँव वालों को बताया। शुरू में कुछ लोगों को संदेह हुआ, लेकिन जमुना बाई के अटूट विश्वास को देखकर, वे मान गए।गाँव के सभी लोगों ने मिलकर नर्मदा के पवित्र जल में स्नान किया और तुलसी के पत्ते खाए। आश्चर्यजनक रूप से, कुछ ही दिनों में, सभी बीमार लोग धीरे-धीरे ठीक होने लगे। गाँव में फिर से खुशियाँ लौट आईं।उस दिन से, गाँव वालों का नर्मदा मैया पर विश्वास और भी बढ़ गया। जमुना बाई को एक संत की तरह सम्मान दिया जाने लगा, और हर कोई नर्मदा मैया की कृपा और उनकी शक्ति की महिमा गाता था। नर्मदा मैया, अपनी शांत और करुणामयी धारा के साथ, हमेशा अपने भक्तों का कल्याण करती रहीं।