मानसून की आहट के साथ चातक और अन्य प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां शुरू l


चित्तौड़गढ़ जिले में मानसून की दस्तक से पहले ही प्रकृति में हलचल दिखने लगी है। क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से मानसूनी प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट और उड़ानें देखी जा रही हैं, जो न केवल मौसम में बदलाव का संकेत हैं बल्कि प्रकृति की संतुलित जीवंतता का साक्षात उदाहरण भी हैं। क्षेत्र के पक्षी प्रेमी राजु सोनी एवं विशेषज्ञों के अनुसार हर साल मानसून के आगमन से पूर्व दक्षिण भारत और अफ्रीका जैसे स्थानों से कई सुंदर और रंगबिरंगे पक्षी उत्तर और मध्य भारत में प्रवास पर आते हैं। इन पक्षियों में जैकोबिन कुक्कू, चातक, कॉमन कुक्कू, इंडियन पित्ता, एशियन पैराडाइज फ्लाई कैचर, ब्लैक हेडेड कुक्कू श्राइक और इंडियन ब्लैक बर्ड प्रमुख हैं। ये पक्षी यहाँ न केवल ठहरते हैं, बल्कि मानसून के दौरान प्रजनन भी करते हैं।

चातकः मानसून का अग्रदूत

इन पक्षियों में जैकोबिन कुक्कू, जिसे चातक के नाम से जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और साहित्य में विशेष स्थान रखता है। हिंदी साहित्य में चातक को प्रेम और प्रतीक्षा का प्रतीक माना गया है। लोक मान्यता के अनुसार, यह पक्षी केवल स्वाति नक्षत्र में गिरी पहली बारिश की बूंद से ही अपनी प्यास बुझाता है। हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह धारणा मिथक मानी जाती है, क्योंकि पक्षी प्रेमियों और शोधकर्ताओं ने इसे नदी, झरनों और तालाबों से पानी पीते हुए भी देखा है। चातक पक्षी दक्षिण भारत में स्थानीय रूप से भी पाया जाता है, परंतु मध्य और उत्तर भारत में यह मानसूनी प्रवासी के रूप में आता है। कोयल प्रजाति के इस पक्षी की एक खास विशेषता

बेगू। क्षेत्र में मानसून की दस्तक देने प्रवासी पक्षी चातक एवं अन्य पक्षी।

है-यह स्वयं घोंसला नहीं बनाता, बल्कि अपने अंडे अन्य पक्षियों के घोंसलों में छोड़ देता है। यही व्यवहार नीड़ परजीविता कहलाता है, जिसमें दूसरे पक्षी ही उसके बच्चों का लालन-पालन करते हैं। इसका मुख्य आहार कैटरपिलर, कीट और फल होते हैं।
प्रकृति का संतुलन और जैव विविधता का संदेश

बीते 10-15 दिनों से क्षेत्र में चातक पक्षी की उपस्थिति दर्ज की जा रही है। साथ ही, अन्य प्रवासी पक्षियों की भी आवाजाही से साफहै कि मानसून की आहट निकट है। ये पक्षी प्राकृतिक संकेतक हैं जो जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी और मौसम विज्ञान से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाएं देते हैं। मानसूनी प्रवासी पक्षियों की विशेषता यह है कि वे भारत में प्रवास के दौरान प्रजनन भी करते हैं, जबकि शीतकालीन

प्रवासी पक्षी केवल सर्दियों में उत्तर के ठंडे इलाकों है से आकर भारत में निवास करते हैं और बिना प्रजनन के वापस लौट जाते हैं।

पक्षियों की चहचहाहट में छिपा है मौसम का भविष्य

इन पक्षियों की आमद न केवल पक्षी प्रेमियों के लिए सुखद है, बल्कि कृषकों और पर्यावरणविदों के लिए भी संकेतक के रूप में कार्य करती है। इनके आगमन से स्पष्ट है कि अब मानसून दूर नहीं। ऐसे में ये पक्षी प्राकृतिक कैलेंडर की तरह कार्य करते हैं, जो हमें पर्यावरण और मौसम के भविष्य की झलक देते हैं। प्रवासी पक्षियों का संरक्षण करना, पर्यावरण की स्थिरता और जैव विविधता को बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। इन्हें उड़ने दीजिए, क्योंकि ये केवल पक्षी नहीं, प्रकृति के संदेशवाहक भी हैं

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